िहगस बोसान की खोज के िनिहताथर
– डॉ.
कृ षण कु मार िमश
िवगत 4 जुलाई 2012 से ही पूरी दुिनया मे एक बात का शोर मचा हुआ है। िहगस
बोसान सबकी जुबान पर है। समाचार माधयमो मे हर जगह इसकी चचार है। िपंट तथा
इलेकटरािनक माधयमो मे इसे पमुखता से सथान िमल रहा है। कोई इसे...
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िहगस बोसान की खोज के िनिहताथर
– डॉ.
कृ षण कु मार िमश
िवगत 4 जुलाई 2012 से ही पूरी दुिनया मे एक बात का शोर मचा हुआ है। िहगस
बोसान सबकी जुबान पर है। समाचार माधयमो मे हर जगह इसकी चचार है। िपंट तथा
इलेकटरािनक माधयमो मे इसे पमुखता से सथान िमल रहा है। कोई इसे ईशवरीय या
दैवीय कण कह रहा है तो कोई बहाणड िनमारण के अंितम सतय को जान लेने का
दावा कर रहा है। जािहर है सूचना तथा संचार के इस युग मे इसे लेकर बडा ही
कौतूहल है। जयादातर माधयमो मे यथाथर कम, गलप जयादा पसतुत िकया जा रहा है।
आइए, देखे िक इस समूचे घटनाकम के पीछे कया है।
दरअसल 4 जुलाई 2012 को यूरोपीय नािभकीय अनुसंधान केद (सनर) के
वैजािनको ने घोषणा की िक उनहोने एक नए उप-परमािणवक
कण की खोज कर ली है तथा उनहे पथमदषटया पतीत
होता है िक यह बहुपतीिकत ‘िहगस बोसॉन कण ही है’
िजसका अिसततव सैदांितक तौर पर पितपािदत िकया जाता
रहा है। सनर पयोगशाला के महािनदेशक रॉलफ हूर ने सपषट
िकया िक सीधी सादी जुबान मे कहूं तो "लगता है हमे यह
कण िमल गया है लेिकन बतौर िवजानी कहूंगा िक इस
पयोग से हमे िजस कण के वजूद का संकेत िमला है उसकी
हुिलया तथा िशनाखत पुखता करने के िलए हमे थ
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